बस एक बार फिर दस्तक दूँ मन के द्वार पर खुल जाएँ कपाट मन के बस एक बार फिर दस्तक दूँ मन के द्वार पर खुल जाएँ कपाट मन के
इन सपनों की बारात लेकर मिलते हो तुम मुझसे। इन सपनों की बारात लेकर मिलते हो तुम मुझसे।
बंदे तू क्यों है अब पड़ा ? चल उठ खड़ा हो फिर से, देख नया सूरज है निकला। बंदे तू क्यों है अब पड़ा ? चल उठ खड़ा हो फिर से, देख नया सूरज है निकला।
उदास मौसम की भी अपनी ही रौनक होती है! उदास मौसम की भी अपनी ही रौनक होती है!
तुम्हारी बेशर्म बालों की लटें चेहरे को चूमते हुए अठखेलियाँ करती हैं- तुम्हारी बेशर्म बालों की लटें चेहरे को चूमते हुए अठखेलियाँ करती हैं-
मन भावन पहेलियां घर परिवार का परमेश्वर पुरस्कार खजाना। मन भावन पहेलियां घर परिवार का परमेश्वर पुरस्कार खजाना।